
मदर टेरेसा को सेवा-कार्यों के लिये भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया था। लेकिन उन्होंने स्वयं ही माना था कि उनके सेवा-कार्य का उद्देश्य ईसाइयत का प्रचार है। उन्होंने ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ की स्थापना भी की थी। इसी संस्था ने देश के कुछ विशेष क्षेत्रों में असहाय महिलाओं और बच्चों के लिए ‘निर्मल हृदय होम’ भी चलाये।
बीते दिनों बच्चे बेचने के अपराध में रांची स्थित निर्मल हृदय की दो ननों (महिला पादरी) को गिरफ्तार किया गया था। बेचे गये उन्हीं बच्चों में से एक बच्चा गत 15 जुलाई को पुलिस ने गहन छान-बीन के बाद खोज निकाला। यह बच्चा केन्द्र की व्यवस्थापिका सिस्टर कांसिलिया ने 52 हजार रुपये में पालमू जिले (असम) के छतरपुर गांव के एक दंपति को बेचा था।
गिरफ्तार ननों ने बताया कि सारे निर्मल होम लम्बे समय से बच्चे बेचने का काम कर रहे हैं। बांग्ला देश की प्रसिद्ध लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी यही आरोप लगाया है। केन्द्र सरकार ने देशभर में ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ के सभी निर्मल गृहों की जाँच के निर्देश दिये है। इस पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लाल-पीली हो रही हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार को कोसते हुए कहा है कि देश में ईसाइयों को तंग किया जा रहा है।