
मिठी शहर बाड़मेर से कुल सौ कि.मी.दूर है पर पाकिस्तान में है। इस नापाकिस्तान में जो थोड़े बहुत हिन्दू बचे हैं वे मिठी जैसे कुछ कस्बों में हैं। यहाँ भी हिन्दुओं की स्थिति बड़ी दयनीय है। कुछ महीनों पहले दो नौजवान भाइयों दिलीप कुमार और चन्द्र कुमार को जिहादियों ने दिन दहाड़े गोली मार दी। इसके बाद किसी न किसी बहाने से हिन्दू मिठी छोड़ कर भारत आ रहे हैं। ऐसे कुछ शरणार्थियों से अंग्रेजी दैनिक डीएनए की संवाददाता अदिति नागर ने बात की। पाकिस्तानी हिन्दुओं की दुर्दशा का जो विवरण बात-चीत में सामने आया वह दैनिक के 11 जन. के संस्करण में प्रकाशित हुआ है।
मिठी से आये हिन्दू बन्धुओं ने बताया कि वहाँ किसी भी हिन्दू का मान-सम्मान सुरक्षित नहीं है। मेघवाल समुदाय पर तो आफत टूट पड़ी है। मेघवाल कन्या के युवा होते ही जिहादी उसका अपहरण कर उसे मुसलमान बना लेते हैं और किसी से भी उसकी शादी करा देते हैं। अन्य समुदायों की कन्याओं के साथ भी लगभग यही होता है। मुसलमान बनने का जबर्दस्त दबाव सभी हिन्दुओं पर है। अनेक लोग परेशान हो मुसलमान बनते भी जा रहे हैं।